Wednesday, 12 March 2014

Jay Jagannath!





जय जगर्नाथ!

तू नहलु काहार, हबु की तु महोर।
       
सारा जिबन देलु दुख , नांहि आशा आउ सुखार।

देला जीए जनम तते , देलु ताकु कारागार टीए। 

 जीए तते पोसीला , बुढा कळुकु कंदील। 

सुदामा तोहर भक्त दासिया , तिन्नी मुट्ठा चणा जुगुरु भिक् मागी  चळीला। 

राधा मांईर प्रेम बड़ , कलु रासळीळा न हेलू ताहार। 

सोहळ सहश्र भांगीला घर , न हलु गोटिये गोपीर।

हेला महाभारत तो आज्ञां रे , भाई - भाई र नेला प्राण तो आखि आघरे।

कौरव - पांडव परी हेला तो बंश नाश ,
न हलु निजर , तू हबु काहार।